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कबीर संगति साधु की– कबीर दास

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अमृतवाणी

कबीर संगति साधु की, जो करि जाने कोय।
सकल बिरछ चन्दन भये, बाँस न चन्दन होय।

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संदर्भ

प्रस्तुत पद्यांश 'अमृतवाणी' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'कबीरदास' ने की है।

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प्रसंग

प्रस्तुत पद्यांश में कबीर ने संतों की संगति करने की सलाह दी है।

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महत्वपूर्ण शब्द

साधु- संत या सज्जन, कोय- कोई, सकल- सभी, बिरछ- वृक्ष।

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व्याख्या

सत्संगति का महत्व बताते हुए कबीरदास जी कहते हैं, कि यदि मनुष्य को संगति करना है तो उसे सज्जनों की संगति करना चाहिए। वे कहते हैं कि अच्छे साथ के कारण प्रकृति के सभी वृक्ष सुगंधित चंदन हो जाते हैं, जबकि सत्संगति के अभाव के कारण बाँस चंदन नहीं हो पाता। अतः हमें अच्छे लोगों की संगति करना चाहिए।

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काव्य सौन्दर्य

प्रस्तुत पद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. जीवन में सत्संगति के महत्व को बताया गया है।
2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
3. मिश्रित भाषा का प्रयोग किया गया है।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com





आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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