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जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे– मैथिलीशरण गुप्त

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"महत्ता"

जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे–
वे लोग या तो अज्ञ हैं या पक्षपात जता रहे।
यदि हम अशिक्षित थे, कहें तो सम्य वे कैसे हुए?
वे आप ऐसे भी नहीं थे, आज हम जैसे हुए।

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संदर्भ

प्रस्तुत पद्यांश 'महत्ता' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना प्रकृति के सुकुमार कवि 'मैथिलीशरण गुप्त' ने की है।

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प्रसंग

प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है, कि भारत पूर्व में शिक्षित और सभ्य राष्ट्र था।

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महत्वपूर्ण शब्द

अशिक्षित- अनपढ़, अज्ञ- अज्ञानी या मूर्ख, असभ्य- सभ्यताहीन, पक्षपात- तरफदारी।

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व्याख्या

कवि मैथिलीशरण गुप्त जी कहते हैं, कि जो लोग हमें पूर्व (अतीत) में अशिक्षित अर्थात् शिक्षाहीन और सभ्यतारहित बता रहे हैं, वे लोग अज्ञानी (मूर्ख) हैं अथवा पक्षपातपूर्ण बातें कर रहे हैं। यदि हम भारतवासी पूर्व में अशिक्षित थे, तो वे सभी लोग किस प्रकार सभ्य बने। वे लोग उस समय ऐसे भी नहीं थे, जैसे आज हम भारतवासी हो गए हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि भारत का इतिहास अत्यंत गौरवमयी है। कोई भी अज्ञानी मनुष्य अतीत के भारतीयों को अज्ञानी, सभ्यतारहित अथवा अशिक्षित नहीं कह सकता।

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काव्य-सौंदर्य

प्रस्तुत पद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. प्रस्तुत पद्यांश में भारत के अतीत को श्रेष्ठ बताया गया है।
2. इस पद में सरल और सुबोध खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. यह पद अनुप्रास अलंकार का अनूठा उदाहरण है।
4. इस पद में पद-मैत्री को सहजता के साथ देखा जा सकता है।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com





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(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
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