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काव्य में 'प्रसाद गुण' क्या होता है? || What is Prasad Gun in Hindi Kavya

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प्रसाद गुण–

पाठक द्वारा जब किसी कविता/काव्यांश/काव्य को पढ़ा जाता है और पढ़ने के साथ ही उसके अर्थ की स्पष्टता हो जाती है। अर्थात पाठक बड़े आसानी के साथ है उस काव्य के अर्थ को ग्रहण कर लेता है तब ऐसे गुण को 'प्रसाद गुण' कहते हैं।

दूसरे शब्दों में कह सकते हैं जब किसी काव्य में शब्द योजना सरल और सुबोध को तथा पढ़ते ही उसका अर्थ स्पष्ट हो जाए, इस तरह काव्य से अर्थ की अभिव्यंजना हो तो वहाँ काव्य में 'प्रसाद गुण' होता है।

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उदाहरण–
अब न कुछ भी पास मेरे
माँगते हो रूप क्या
हार बैठा जिंदगी का
दाँव पहले दाँव में।
मत कुरेदो दर्द होता है, हृदय के घाव में।

इस काव्यांश में सरल और सुबोध शब्द योजना है। अतः पढ़ते ही इसका अर्थ स्पष्ट हो रहा है। उपयुक्त काव्यांश में सरल तथा सुबोध शब्दों से अर्थ की अभिव्यंजना होने पर काव्य में 'प्रसाद गुण' की स्थिति बन रही है।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com





आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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