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अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? || विरोधाभास अलंकार

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अपहनुति अलंकार–

जब किसी काव्य रचना के पद (काव्यांश) में किसी सच्ची बात को छिपाकर उसके स्थान पर किसी झूठी बात या वस्तु की स्थापना कर दी जाती है वहाँ अपहनुति अलंकार होता है।

उदाहरण–
किसुक, गुलाब, कचनार और अनारन की
डारन पै डोलत अंगारन के पुंज है।

यहाँ पलाश, गुलाब, कचनार और अनार के लाल फूलों का प्रतिषेध कर उनमें अंगारन के पुँज (आग के समूहों) की स्थापना की है। और सच्ची बात (लाल रंग के पुष्पों के गुच्छ को) छिपा ली गई है अतः यहाँ पर अपहनुति अलंकार है।

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विरोधाभास अलंकार–

जिस किसी काव्य रचना के पद (काव्यांश) में, किसी कार्य, पदार्थ या गुण में वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।

उदाहरण–
बैन सुन्या जब वे मधु, तबते सुनत न बैन।
इस पद्यांश में कैसी विडम्बना है? 'बैन सुन्या' और 'सुनत न बैन' में विरोध दिखाई पड़ता है। वस्तुतः सच्चाई यह है कि विरोध का आभास हो रहा है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com





आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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